Main Rajendra Prasad Bol Raha Hoon / Rajasvi
Material type: TextPublisher number: : Zafaa Books & Distributors | : 313/56F, 49A, Anand Nagar, Inderlok, Delhi.Publication details: , Delhi : Prabhat Prakashan , 2014Description: 159p. : 22cmISBN: 9789350484593Subject(s): Rajendra Prasad | Rajasvi | BiographyDDC classification: 923.154 RAJ Summary: स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता; महात्मा गांधी के परम शिष्य और भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ‘सादा जीवन उच्च विचार’ के आदर्श में विश्वास रखते थे। राष्ट्रपति पद की मर्यादा का ध्यान रखते हुए भी वे अपने रहन-सहन और पहनावे आदि में अत्यंत सादगी अपनाते थे। शांतमना डॉ. राजेंद्र प्रसाद सात्त्विकता और सौम्यता की प्रतिमूर्ति थे। वे ऐसे महामानव थे; जिन्होंने अपना सर्वस्व लोकसेवा के लिए अर्पित कर दिया। उन्होंने राष्ट्रपति रहते हुए अनेक महत्त्वपूर्ण योजनाओं को कार्यान्वित किया और भारत को सफल एवं सशक्त राष्ट्र बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। देशहित में दिए गए उनके महान् योगदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकेगा। इस पुस्तक के सभी अंश डॉ. राजेंद्र प्रसाद के विभिन्न अवसरों पर दिए गए वक्तव्यों; लेखों और उनके द्वारा लिखित पुस्तकों से संकलित किए गए हैं। इनका उद्देश्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद की विचारधारा आगे बढ़ाते हुए पाठकों को देशहित एवं लोकहित के लिए प्रेरित करना है। व्यक्तित्व विकास; चरित्र-निर्माण एवं राष्ट्र-निर्माण के लिए आवश्यक दृष्टि देनेवाले देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के अनमोल वचनों का प्रामाणिक संकलन।Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | Item holds |
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Children Books Collection | SNU LIBRARY | 923.154 RAJ (Browse shelf(Opens below)) | Not For Loan | 29564 |
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923 CHA Raghunandana | 923.1 DAS Maharaja | 923.151 CHE Mao and the Chinese revolution: | 923.154 RAJ Main Rajendra Prasad Bol Raha Hoon | 923.244 BUR Richelieu : his rise to power | 923.254 CHA Mohammad Ali Jinnah : The Great Enigma | 923.254 MAN Mahatma : A Golden Treasury of Wisdom |
स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता; महात्मा गांधी के परम शिष्य और भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ‘सादा जीवन उच्च विचार’ के आदर्श में विश्वास रखते थे। राष्ट्रपति पद की मर्यादा का ध्यान रखते हुए भी वे अपने रहन-सहन और पहनावे आदि में अत्यंत सादगी अपनाते थे।
शांतमना डॉ. राजेंद्र प्रसाद सात्त्विकता और सौम्यता की प्रतिमूर्ति थे। वे ऐसे महामानव थे; जिन्होंने अपना सर्वस्व लोकसेवा के लिए अर्पित कर दिया। उन्होंने राष्ट्रपति रहते हुए अनेक महत्त्वपूर्ण योजनाओं को कार्यान्वित किया और भारत को सफल एवं सशक्त राष्ट्र बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। देशहित में दिए गए उनके महान् योगदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकेगा।
इस पुस्तक के सभी अंश डॉ. राजेंद्र प्रसाद के विभिन्न अवसरों पर दिए गए वक्तव्यों; लेखों और उनके द्वारा लिखित पुस्तकों से संकलित किए गए हैं। इनका उद्देश्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद की विचारधारा आगे बढ़ाते हुए पाठकों को देशहित एवं लोकहित के लिए प्रेरित करना है।
व्यक्तित्व विकास; चरित्र-निर्माण एवं राष्ट्र-निर्माण के लिए आवश्यक दृष्टि देनेवाले देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के अनमोल वचनों का प्रामाणिक संकलन।
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