Itihas Aur Vichardhara / Irfan Habib.
Material type:![Text](/opac-tmpl/lib/famfamfam/BK.png)
Item type | Current library | Call number | Status | Notes | Date due | Barcode | Item holds |
---|---|---|---|---|---|---|---|
![]() |
SNU LIBRARY | 954 HAB (Browse shelf(Opens below)) | Available | Rural Management | 29692 |
वस्तुतः साहित्यकार की भाँति इतिहासकार की लेखन प्रक्रिया भी जितनी सामाजिक और सांस्कृतिक होती है, उतनी ही वैयक्तिक भी। इतिहासकार की व्यक्तिगत प्रतिभा, विवेक, आकांक्षा, उद्देश्य, साधना और संघर्ष उसके लेखन को बहुत गहरे स्तर पर प्रभावित करते हैं। इसीलिए प्रायः यह देखा गया है कि एक ही विचारधारा को मानने वाले इतिहासकार भी विभिन्न मुद्दों पर भिन्न-भिन्न राय रखते हैं। इन लेखों में इरफ़ान हबीब ने मार्क्सवादी इतिहास-दृष्टि को अधिकाधिक परिमार्जित और वस्तुनिष्ठ बनाने पर बल दिया है। उन्होंने मार्क्सवाद विरोधी विभिन्न विचारधाराओं की सूक्ष्म ढंग से शिनाख़त करते हुए उनके जनविरोधी चरित्र को उजागर किया है और इतिहास लेखन को हर प्रकार के संकीर्णतावाद की गुंजलक से निकालकर उसे वैज्ञानिक और मानवतावादी आधार प्रदान करने की कोशिश की है। प्रस्तुत संग्रह में उनके ग्यारह लेख संकलित हैं। सरसरी तौर पर देखने से यह स्पष्ट हो जाता है कि इन लेखों में विषयगत एकता और एकरूपता चाहे न हो, किन्तु अपनी मार्क्सवादी इतिहास-दृष्टि के कारण उनमें एकसूत्रता अवश्य दिखाई पड़ेगी। उनके ये लेख लम्बे अन्तराल के बीच लिखे गये हैं। इनमें मार्क्सवादी इतिहास-लेखन की परम्परा की गहरी छानबीन से लेकर भारतीय राष्ट्र के निर्माण की प्रक्रिया, उपनिवेशवाद, राष्ट्रीय आन्दोलन और राष्ट्रीय आन्दोलन में वामन्थ की भूमिका आदि का विस्तृत मूल्यांकन किया गया है। उन्होंने अन्धराष्ट्रवाद और अविवेकवाद की भी जमकर आलोचना की है।
There are no comments on this title.